अक्षयवट, जिसे सीता साक्षी भी कहा जाता है, पिंडदान के अनुष्ठान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला एक पवित्र स्थल है। यह वृक्ष गया में स्थित है और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है। पिंडदान का उद्देश्य दिवंगत आत्माओं को शांति और मोक्ष प्रदान करना है। अक्षयवट के नीचे पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्माओं को तृप्ति और मुक्ति मिलती है।
यह वृक्ष सीता माता की साक्षी के रूप में प्रसिद्ध है, जिससे इसकी धार्मिक महत्ता और बढ़ जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान राम ने गया में अपने पितरों का पिंडदान किया था, तब माता सीता ने इस वट वृक्ष को साक्षी माना था। इस कारण, यह वृक्ष पिंडदान करने वालों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। श्रद्धालु अक्षयवट के नीचे चावल के गोले अर्पित करते हैं, जो पूर्वजों की आत्माओं के प्रति श्रद्धा और कर्तव्य का प्रतीक है।
अक्षयवट के नीचे पिंडदान करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इस अनुष्ठान में चावल, तिल, और पवित्र जल अर्पित किए जाते हैं। माना जाता है कि इस स्थान पर पिंडदान करने से आत्माओं को सांत्वना और मोक्ष प्राप्त होता है। यह परंपरा आत्माओं को तृप्त करने और उन्हें शांति प्रदान करने की प्राचीन धार्मिक आस्था को दर्शाती है।
अक्षयवट के नीचे पिंडदान करने की परंपरा परिवार के बंधनों को भी मजबूत करती है। यह अनुष्ठान न केवल दिवंगत आत्माओं के लिए शांति का मार्ग प्रदान करता है, बल्कि जीवित सदस्यों के बीच एकता और सामंजस्य भी बढ़ाता है। इस धार्मिक स्थल पर आने वाले श्रद्धालु अपने परिवार के साथ मिलकर पिंडदान करते हैं और अपने पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
अक्षयवट की पवित्रता और धार्मिक महत्व इसे पिंडदान के लिए एक प्रमुख केंद्र बनाते हैं। यहां के धार्मिक वातावरण और ऐतिहासिक महत्व के कारण, यह स्थल भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और वे यहां आकर अपने पूर्वजों की आत्माओं की शांति और मोक्ष के लिए पिंडदान करते हैं।
Vishnupad Temple Road,Chand
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