विष्णुपद मंदिर, गया, बिहार में स्थित है और हिंदू धर्म में इसका विशिष्ट धार्मिक महत्व है, विशेषकर पिंडदान के लिए। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और पिंडदान करने से मृतक आत्माओं की शांति और मोक्ष की मान्यता है। पौराणिक कथा के अनुसार, यहां भगवान विष्णु के पदचिह्न हैं। मंदिर में 40 सेंटीमीटर लंबा पदचिह्न है, जिसे भक्त श्रद्धा से पूजते हैं।
विष्णुपद मंदिर की स्थापना के पीछे एक महत्वपूर्ण पौराणिक कथा है। मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान विष्णु ने गयासुर नामक राक्षस का वध किया था और अपने पदचिह्न छोड़ दिए थे। यह पदचिह्न काले बेसाल्ट पत्थर पर स्थित है और मंदिर के गर्भगृह में रखा गया है। इस मंदिर का निर्माण 1787 में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। इसके स्थापत्य में द्रविड़ शैली की झलक मिलती है।
पिंडदान का अनुष्ठान यहां विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। पितृ पक्ष के दौरान, लाखों श्रद्धालु यहां पिंडदान करने आते हैं। इस अनुष्ठान में चावल, तिल, और पवित्र जल का अर्पण किया जाता है। माना जाता है कि यहां पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्माओं को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मंदिर परिसर में कई पंडित और पुरोहित इस अनुष्ठान को संपन्न करने में सहायता करते हैं।
विष्णुपद मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक धरोहर भी है। यहां की पवित्रता और धार्मिक वातावरण ने इसे हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बना दिया है। यहां का हर कोना धार्मिक इतिहास और पौराणिक कथाओं से भरा हुआ है, जो इसे और भी विशेष बनाता है।
मंदिर प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं के लिए कई सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। इनमें आवास, भोजन, और अनुष्ठान सामग्री की व्यवस्था शामिल है। मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए गाइड और सहायता केंद्र भी उपलब्ध हैं, जो उन्हें अनुष्ठान के सही तरीके से संपन्न करने में मदद करते हैं।
विष्णुपद मंदिर की पवित्रता और धार्मिक महत्व इसे पिंडदान का प्रमुख केंद्र बनाते हैं। यहां के धार्मिक वातावरण और ऐतिहासिक महत्व के कारण, यह स्थान भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और वे यहां आकर अपने पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए पिंडदान करते हैं।
Vishnupad Temple Road,Chand
Chaura, Gaya, Bihar 823001
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