नारायण बली पूजा का विधान अत्यंत विस्तृत और विशिष्ट होता है। इसमें विभिन्न मंत्रों और अनुष्ठानों का पालन करना आवश्यक होता है। पूजा की शुरुआत गणेश पूजन से होती है, जिसके बाद नारायण का आवाहन किया जाता है। नारायण को प्रतीक रूप में स्थापित किया जाता है और उनके समक्ष अन्न और जल अर्पित किया जाता है। इसके बाद, विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, जो आत्मा की शांति के लिए होते हैं।
नारायण बली पूजा का अनुष्ठान अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस पूजा का अनुष्ठान करने से अकाल मृत्यु के दौरान आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है। इस पूजा का अनुष्ठान करने से दिवंगत आत्मा को शांति मिलती है और वह अपने अगले जन्म के लिए तैयार हो जाती है। नारायण बली पूजा का अनुष्ठान अकाल मृत्यु के दौरान आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है। इस पूजा का अनुष्ठान करने से दिवंगत आत्मा को शांति मिलती है और वह अपने अगले जन्म के लिए तैयार हो जाती है।
नारायण बली पूजा का अनुष्ठान करने से दिवंगत आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है। इस पूजा का अनुष्ठान करने से अकाल मृत्यु के दौरान आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है। इस पूजा का अनुष्ठान करने से दिवंगत आत्मा को शांति मिलती है और वह अपने अगले जन्म के लिए तैयार हो जाती है।
नारायण बली पूजा का अनुष्ठान अत्यंत विस्तृत और विशिष्ट होता है। इसमें विभिन्न मंत्रों और अनुष्ठानों का पालन करना आवश्यक होता है। पूजा की शुरुआत गणेश पूजन से होती है, जिसके बाद नारायण का आवाहन किया जाता है। नारायण को प्रतीक रूप में स्थापित किया जाता है और उनके समक्ष अन्न और जल अर्पित किया जाता है। इसके बाद, विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, जो आत्मा की शांति के लिए होते हैं।
नारायण बली पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
नारायण बली पूजा का अनुष्ठान करने से दिवंगत आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है। इस पूजा का अनुष्ठान करने से अकाल मृत्यु के दौरान आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है। इस पूजा का अनुष्ठान करने से दिवंगत आत्मा को शांति मिलती है और वह अपने अगले जन्म के लिए तैयार हो जाती है।
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